“प्रीत के गीत “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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कोई प्रीत के गीत सुनाओ सनम ,
हमें अपना बोल सुनाओ सनम !
हम युग युग से तुम्हें प्यार करें ,
तुम मुझको गले लगाओ सनम !!
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यह दूरियां ,
हमको पास तेरे ,
आने को नहीं देती थी ,
कितने दिन ,
चुपचाप रहे ,
तुम जहर ,
विरह का पीती थी !!
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लहरा के तुम अब आ जाओ सनम ,
हमें अपना बोल सुनाओ सनम !
हम युग युग से तुम्हें प्यार करें ,
तुम मुझको गले लगा लो सनम !!
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ये चाँदनी रातें ,
भी हमको ,
कुछ ऐसी खटकती ,
रहती थी ,
मौसम के बदलते ,
लम्हों में ,
बस एक शिकायत रहती थी !!
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अब और नहीं तड़पाओ सनम ,
हमें अपना बोल सुनाओ सनम !
हम युग युग से तुम्हें प्यार करें ,
तुम मुझको गले लगाओ सनम !!
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कुछ हम बोलें ,
कुछ तुम बोलो ,
कोई और ना हमको सुन पायें ,
अपनी सुनहरी ,
यादों को हम दोनों ,
मिलकर दुहरायें !!
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और करीब तुम आ जाओ सनम ,
हमें अपना बोल सुनाओ सनम !
हम युग युग से तुम्हें प्यार करें ,
तुम मुझको गले लगाओ सनम !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत