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7 May 2024 · 1 min read

प्रीतम दोहावली

लूट छीन खा बेहतर, रहो महल में आप।
रेशम के गद्दे मिलें, नींद नहीं पर श्राप।।//1

हित चाहे जो और का, करे प्रेम की बात।
नींद उसे अच्छी मिले, रहे निरोगी गात।।//2

नींद जिसे आती नहीं, उसका सब बेकार।
बिन जल के ज्यों चून को, नहीं चपाती प्यार।।//3

करे हृदय से मेहनत जो, स्वर्ग लगे संसार।
बचा फिरे भ्रम पालकर, नरक उसे हर द्वार।।//4

नींद एक उपहार है, कर इसकी जयकार।
मिलती पर उसको यहाँ, जिसको सबसे प्यार।।//5

कपट करोगे तुम अगर, दिल होगा लाचार।
मिट्टी में कीचड़ मिले, कहलाए वह गार।।//6

दवा नींद को समझिए, कर निज पर उपकार।
प्रीतम सुन पैट्रोल बिन, वाहन हर बेकार।।//7

आर. एस. ‘प्रीतम’

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