प्रिय मेरा विश्वास तुम्हीं हो’
‘प्रिय मेरा विश्वास तुम्हीं हो’
(समस्या पूर्ति गीत)
प्रिय मेरा विश्वास तुम्हीं हो, इस जीवन की आस तुम्हीं हो
बिना तुम्हारे कट न सकें जो, मेरे दिन और रात तुम्हीं हो
अर्पित है तुमको यह जीवन, मेरा सब कुछ तुमको अर्पण
देखो अब ये डोर न टूटे, जीवन की हर श्वास तुम्हीं हो
विश्वासों में घात लगे ना, तुमको कोई और ठगे ना
तुम्हें अनेकों मिल जाएंगी, मेरी अन्तिम आस तुम्हीँ हो
छाया है घनघोर अँधेरा, जाने होगा कहाँ सवेरा
फिर भी पथ पर चलती जाऊँ, मेरा दिव्य प्रकाश तुम्हीं हो
घड़ी घड़ी मैं तुम्हें पुकारूॅं,खड़ी द्वार पर राह निहारूॅं,
थके नयन बोझिल पलकों के, सपनों का मधुमास तुम्हीं हो।
प्रिय मेरा विश्वास तुम्हीं हो.
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद