प्रिये सहज जोगन भई … भाग -२
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
मन बसे पर न सामने , प्रिय ये कैसा लोप ll
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
हमरी प्रीत है पूजा, ना है कोई पाप ll
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
छोड़ छोड़ बैराग ये, हमारी प्रीत नाप ll
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
प्रीत की सहज भक्ति हो, तो हो मधुर मिलाप ll
प्रिये सहज जोगन भई, करे बस जाप जाप l
भई सही प्रभु प्रार्थना, प्रकटे प्रीत प्रताप ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न