#प्रियवर खोये हो कहाँ
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★ #प्रियवर खोये हो कहाँ ★
चाँद सितारों वाली रात
मेरे तरुवर पारिजात
प्रेमामृत से हृदय भरा
सूना बांहों का आकाश
ठगती स्मृतिअवलियाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ . . .
बगिया में फूलों कलियों बीच
विधना बैठी अंखियाँ मीच
भूलचूक अपावन की
मची है भारी कीच
कांटों संग उलझी तितलियाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ . . .
न हमको रूठन का अधिकार
नयनन ठिठकी अश्रुधार
तेरे हैं हम तेरे हैं
इक तू ही प्राणाधार
सखी हुईं सांसें सिसकियाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ . . .
समय के अविरल होते घात
गौराया श्याम सलोना गात
सपने सपने रह चले
मेरी छली गई परभात
क्षुधित तृषित हैं तनगलियाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ . . .
पहले पहर का धौला रंग
बंसी चुप अवाक् मृदंग
सावन भादों बीत चले
धुआँ धुआँ जगती का ढंग
पिछले पहर जली तलियाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ . . .
मनमंदिर के दीप अमोल
धुपियारी दुपहरिया मीठे बोल
भेजी है पाती पवन हाथ
प्रियतम नाव रही है डोल
मुंदती बुझती अंखियाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ
प्रियवर खोये हो कहाँ . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२