प्रार्थना के स्वर
गीत
प्रार्थना के स्वर अकिंचन ,
आत्मा से आ मिले।
दर्द का दुख भूल कर हम,
शब्द सुधि जैसे खिले।
मौन अंतस छू गया जब
हृदय व्याकुल हो गया,
आस्था का हर बटोही
प्यास बन कर खो गया।
हमने पाए हर कदम
दीवानगी के ये सिले ।
प्रार्थना के स्वर अकिंचन
आत्मा से आ मिले।।
समय की धुन पर लिखी
हमने श्वासों की ग़ज़ल,
मन हुआ यह तीर्थ जैसा
कल्पनाओं का तरल।
प्राण से पुलकित पलों की
हम निशानी ले चले।
प्रार्थना के स्वर अकिंचन,
आत्मा से आ मिले।।
सूर्यकांत