प्रायश्चित
90 साल की उर्मिला सबकी आँखों को खटक रही थी।वैसे भी उसके बहू ममता से सम्बंध कभी भी अच्छे नहीं रहे थे। हमेशा छत्तीस का आंकड़ा ही रहा। लेकिन अब उर्मिला शक्ति हीन हो गई थी और दूसरों की मोहताज भी ।जैसे तैसे ज़िन्दगी कट ही रही थी पर इस लोकडाउन ने सब कुछ धराशायी कर दिया। कामवालियां भी आनी बन्द हो गईं थीं।काम बेहद बढ़ गया था। इसलिये उर्मिला सबको और खटक रही थी।अब उसके काम बच्चों को करने पड़ रहे थे वो भी तरह तरह के मुंह बनाते। ममता की तो जान ही आफत में आ गई थी। मोदी जी टीवी पर सबसे कह रहे थे घर के बुजुर्गों का ध्यान रखें …उन्हें घर से न निकलने दें…सुनकरबड़बड़ाई …’अच्छा है न कोरोना हो जाये क्वारनटीन में ले जाये सरकार…छुट्टी मिले…पता नहीं कितना लंबा जियेगी। मेरी पूरी जान ही लेकर जाएगी ।
कड़वाहट बहुत बढ़ चुकी थी।ममता खाना नाश्ता देती लेकिन पटक पटककर। उर्मिला भी खा तो लेती लेकिन अपराधबोध के साथ। शरीर काम के लिये साथ ही नहीं देता था। उर्मिला पुरानी बातें सोचती रहती थी। उसे अब अपने किये पर भी अफसोस होता था। उसे लगता था कुछ बातों को बढ़ने से रोका जा सकता था। गलतियों पर लड़ने के बजाय अगर माफ कर दी जाए तो दिलों में दरार पड़ने से रोका जा सकता है। इसी चिंतन मनन में उर्मिला लगी रहती। पिछली बातों को सोचकर दुखी होती रहती।
शाम के छह बजे थे। उर्मिला का दिल बहुत घबरा रहा था । उसने ममता को आवाज लगाई। ममता बड़बड़ाती हुई आई। बोली,’ क्या है? चैन नहीं है आपको…अब तो सोच लो कुछ मेरे बारे में…रातदिन काम करते2 थक जाती हूँ…पर आपको तो कमी ही निकालनी है…’ । उर्मिला की आंखें भीग गईं। ममता और चिढ़ गई। ‘हां हां …अब रो रो कर और दिखाओ सबको…कितना दुख देती हूं आपको मैं…’.। उर्मिला ने ममता का हाथ पकड़कर अपने पास बैठा लिया। दूसरा हाथ सर पर फेरकर बोली,’ मुझे माफ़ कर दे बेटी…. सच में मैं तुझे कभी भी बेटी नहीं बना पाई ..पर तुझसे चाहा यही तू मुझे माँ माने। काश मैंने ही अपना बड़प्पन दिखा दिया होता तेरी नासमझियों को नज़र अंदाज़ कर दिया होता ….उनका बतंगड़ न बनाया होता… लेकिन मैं भी बराबरी ही करती रही। मुझसे भी बहुत गलतियां हुई है। क्या मुझे माफ़ नहीं करेगी ? मुझे मेरा अपराध बोध चैन नहीं लेने दे रहा है।’ उर्मिला फूट फूट कर रोती जा रही थी और ममता को प्यार करती जा रही थी।
ये सब देखकर ममता की आंखे भी भर आईं। उसे भी अपनी गलतियों का अहसास होने लगा। अगर वो भी कभी चुप रह जाती तो बातें नहीं बढ़ती और न ही दिल मे दरारें। दोनों ही रो रही थीं और बरसों का दिल मे जमा मैल बहता जा रहा था। ममता ने भी पैर छूकर अपनी गलतियों की माफी मांगी। उर्मिला ने उसे गले से लगा लिया। अचानक उर्मिला को हिचकियाँ आने लगी। ममता पानी लेने भागी। लौट कर आई तो देखा मां चैन से मुस्कुराती हुई सो रही थी। उसने उन्हें हिलाया पर फिर वो कभी नहीं उठीं। ममता जोर जोर से रोने लगी ‘ये क्या किया माँ…मुझे भी प्रायश्चित का एक मौका तो दिया होता……..
07-04-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद