*प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम*
प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम
(१)
रामायण लिखी हैं तुलसी।जनमत को भाये हैं तुल सी।।अवधि अवध बिहारी की
गाथा मिल जुल सी।भव पार मार्ग बना गये हैं पुलसी।सभी पितरों का उद्धार करा गये हैं कुलसी।।हम कुठिल कुकर्मीकुबुद्धि है झुलसी।
(२)
जग को जगदीश्वर की महिमा,जैसे मां दूध पिला गये सुलसी।जीवन की बगिया महका गये गुलसी।।श्री राम चरित मन भावन जन जन को।सबके मन जगा गये हैं नुलसी।स्वांसे रटलें राम गर रघु नंदन को।कलियां खिल जायें मन उपवन सी।।
पुलकित हो राम भजो मन में।पढ़रामायण से कर काया कंचन सी।।भज राम का नाम वाम के संग में।दोहा चौपाई सोरठा छन्द,बहुतेरे अनन्त रामायण में।आदिकाल से पतित पावन ग्रन्थ है,है राम की महिमा तुलसी रचनाओं में।गुरु बाल्मिकी तुलसी राम काज हित,मिलें वर्णन सब रामायण में।।
(३)
साधु लिख लिख न धर जाते।तो तुलसी गुरु ज्ञान कहां से पाते।।असुरों का अत्याचार भूमंडल में,गर तुलसी के राम न होते।साधु धर्म सुरक्षित हैं भारती,धर्म धीर साधु धरते।हिन्दी बन गुल महके जहां में,
मिल जुल के जो साथ में होते।जो धर्म मर्म न जाने अज्ञानी,सम्पूर्णानन्द भारत में न होते।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•