Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2024 · 1 min read

प्रश्नों से प्रसन्न होते हो वो समझदार होते।

प्रश्नों से प्रसन्न होते हो वो समझदार होते।
मूर्ख सदा विपरीत चले,खबरदार हैं करते।।
प्रश्न सदा अच्छे होते हैं ज्ञान बढ़ाते हैं रहते।
इनसे जो घबराते हैं बड़ा काम कब है करते।।

1 Like · 16 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बस यूँ ही
बस यूँ ही
Neelam Sharma
"बिना माल के पुरुष की अवसि अवज्ञा होय।
*प्रणय प्रभात*
देख के तुझे कितना सकून मुझे मिलता है
देख के तुझे कितना सकून मुझे मिलता है
Swami Ganganiya
*
*"माँ महागौरी"*
Shashi kala vyas
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
Anand Kumar
पितृ तर्पण
पितृ तर्पण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
★महाराणा प्रताप★
★महाराणा प्रताप★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल (गहराइयाँ ग़ज़ल में.....)
ग़ज़ल (गहराइयाँ ग़ज़ल में.....)
डॉक्टर रागिनी
घटा घनघोर छाई है...
घटा घनघोर छाई है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"सावधान"
Dr. Kishan tandon kranti
बापू गाँधी
बापू गाँधी
Kavita Chouhan
यादों के अथाह में विष है , तो अमृत भी है छुपी हुई
यादों के अथाह में विष है , तो अमृत भी है छुपी हुई
Atul "Krishn"
इंसान का कोई दोष नही जो भी दोष है उसकी सोच का है वो अपने मन
इंसान का कोई दोष नही जो भी दोष है उसकी सोच का है वो अपने मन
Rj Anand Prajapati
मोहब्बत की आख़िरी हद, न कोई जान पाया,
मोहब्बत की आख़िरी हद, न कोई जान पाया,
Rituraj shivem verma
भ्रम
भ्रम
Dr.Priya Soni Khare
3659.💐 *पूर्णिका* 💐
3659.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
वो मुझसे आज भी नाराज है,
वो मुझसे आज भी नाराज है,
शेखर सिंह
कलश चांदनी सिर पर छाया
कलश चांदनी सिर पर छाया
Suryakant Dwivedi
समय-सारणी की इतनी पाबंद है तूं
समय-सारणी की इतनी पाबंद है तूं
Ajit Kumar "Karn"
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
शाकाहारी बने
शाकाहारी बने
Sanjay ' शून्य'
घर
घर
Slok maurya "umang"
चाँद
चाँद
ओंकार मिश्र
गुलाबी शहतूत से होंठ
गुलाबी शहतूत से होंठ
हिमांशु Kulshrestha
राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियां और सम्भावनायें
राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियां और सम्भावनायें
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
सोचता हूँ रोज लिखूँ कुछ नया,
सोचता हूँ रोज लिखूँ कुछ नया,
Dr. Man Mohan Krishna
"इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
पूर्वार्थ
किस बात का गुमान है यारो
किस बात का गुमान है यारो
Anil Mishra Prahari
"अपना "
Yogendra Chaturwedi
Loading...