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14 Mar 2021 · 1 min read

प्रशंसा

आज प्रशंसा सबको है प्यारी। कोई कितना भी रुष्ट हो बस एक शब्द है भारी। प्रशंसा से हर इंसान का मन भरता नहीं। मान बड़ाई और प्रतिष्ठा से हटता नहीं।चाहे झूठी हो या सांची बस मिलना चाहिए।हो जाये गदगद पांव पांवड़े विछना चाहिए। तुम कितने प्रिय हो , क्या सुन्दर लग रहे हो।बस! इतना काफी है उसके नजदीक आने के लिए।
प्रशंसा का खेल न्यारा। भूखा रहे विचारा।
व्यवहार में इसने ही पग धारा।
प्रशंसा ने ही सबका जीवन संवारा।

Language: Hindi
2 Comments · 362 Views
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