प्रभु की शरण
नहीं तुझपर कोई पहरा
फिर भी तू है क्यों ठहरा
कर दे उससे फ़रियाद तू
सुना है वो है नहीं बहरा
जो भी चाहता है तू
मिल जाएगा वो तुमको
कुछ नहीं करना, बस जाना है
उसकी शरण में तुमको
मिलती है जो शांति
जाकर दरबार में उसके
देख ले फिर तू दो चार
भजन गाकर उसके
भूल जाएगा अपने गम सारे
देखेगा जब तू चमत्कार उसके
मिटा देता है वो तेरे विघ्न सारे
कोई दरबार से जाता नहीं खाली उसके।