प्रभु दर्शन
प्रभु दर्शन
कब दोगे अब अपना दर्शन?
चलता है मन में यह चिंतन।।
आओ गले लगाओ प्रभुवर।
हे मेरे अति सुन्दर प्रियवर।।
प्रभु मेरे मनमीत बने हैं।
मधुर मिलन संगीत बने हैं।।
प्रभु को ही मैंने अपनाया।
प्रभु से सारा काम बनाया।।
अनुभव बन कर प्रभु जी आये।
प्रेरक बन कर दिल में छाये।।
प्रेमी बनकर गीत सुनाये।
प्रतिभा देकर अति मन भाये।।
प्रभु जी नहीं मिले थे जब तक।
झंझट में था य़ह मन तब तक।।
अब तो प्रभु की आभा गमके।
जीवन रश्मि हमेशा दमके।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।