*प्रभु तारों-सा चमकाना (गीत)*
प्रभु तारों-सा चमकाना (गीत)
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जिऍं भले ही चार दिवस, प्रभु तारों-सा चमकाना
(1)
हमको देना निर्मल मति, शाश्वत अमंद कहलाए
कलुष जगत का लोभ-मोह, छा हम पर कभी न पाए
उच्च ध्येय की अभिलाषा, मानस में सदा बसाना
(2)
जीवन का हर क्षण पावन, प्रिय प्रेम-नेह से भर दो
इतना मॉंजो धवल पात्र, जाग्रत हर कण-कण कर दो
अजर-अमर अविनाशी से, परिचय अवश्य करवाना
(3)
हमें बोध हो नश्वर है, यह मिली हुई जो काया
जगत समूचा ईश्वर की, संपत्ति-उसी की माया
जन्म-मरण से मुक्त प्रभो, चरणों में जगह दिलाना
जिऍं भले ही चार दिवस, प्रभु तारों-सा चमकाना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 99976 15451