Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2021 · 1 min read

प्रभु की शरण पाता है

हम सभी टाइम पास करते रहते हैं। बस एक दूसरे में बुराई ढूंढते रहते हैं। जिंदगी तुम नहीं जिंदगी तुम्हें जीती है। कर्म तुम्हें मालूम नहीं धर्म तुम्हें मालूम नहीं। हमेशा खेल खेल में जीते रहते हो। महत्व नहीं जिंदगी का तुम कुछ समझते हो। अचानक मिली वस्तु का तुम मूल करते हो। समय जाने के बाद समय वापस नहीं आता है। इतना भी अगर समझ गया तब प्रभु की शरण पाता है।

Language: Hindi
1 Comment · 378 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Loading...