“प्रफुल्लित”
“प्रफुल्लित”
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ऐसा इक जहाॅं, हो मन सबका प्रफुल्लित ,
भूल कर गिले-शिकवे , रहें सब आनंदित ।
सत्कर्म, सदाचरण व विश्वास की डगर हो ,
शांति व समृद्धि में प्यार भी हो अपरिमित।
“स्वरचित एवं मौलिक” ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार)
दिनांक : 01/03/2022.
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