प्रधानमंत्री
*माननीय प्रधानमंत्री जी
वैसे तो पहले ही बहुत देर हो चुकी है, लेकिन अब और देर मत करिए सर। कोरोना संक्रमण के नियंत्रण के लिए जितने भी कठोर कदम उठाए जा सकते हैं उठाइए । संपूर्ण लॉकडाउन करना है, वो करिए । चुनाव रुकवाना है, वो रुकवाइए । राष्ट्रपति शासन लगवाना है, वो लगवाइए । देश में इमरजेंसी लगवानी है, वो लगवाइए । कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए, दवाई के लिए, अस्पताल के लिए, वैक्सीनेशन के लिए पैसे की कमी है तो चंदा लीजिए, देशवासी जब मंदिर-मस्जिद के लिए दान दे सकते हैं, तो यकीन मानिए लोगों की जान बचाने के लिए जिससे जो बन पाएगा वो ज़रुर करेगा । लेकिन पहल तो आपको ही करनी होगी ना ।
पिछले साल आप ही तो कहा करते थे कि, जान है तो जहान है । पूरा देश आपकी इस बात से सहमत था। आपने ताली-थाली, दीया-बाती जो-जो करने के लिए कहा सबने सबकुछ किया । आपने कहा जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं, लोगों ने कहा ठीक है। आपने कहा दवाई भी और कड़ाई भी, लोगों ने कहा ठीक है। पेट्रोल, डीजल, गैस सिलेंडर, साग-सब्ज़ी, राशन-पानी सबकी कीमतें बढ़ गईं, आपने कहा कोरोना के कारण देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ गई है, उसे ठीक करने के लिए ये सब ज़रुरी है, लोगों ने कहा ठीक है । मतलब आपकी हर हां में हां और ना में ना मिलाया सबने। फिर इसबार क्या हो गया आपको, क्यों मरने के लिए छोड़ दिया सबको आपने।
हॉस्पिटल में जगह नहीं बची है सर । लोग अपनों को लिए-लिए एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल के चक्कर लगा रहे हैं । और फिर बेबस होकर उन्हें मरते हुए देख रहे हैं । शमशान घाटों पर शवों का ढेर लगा है। चिताओं की आग निरंतर जल रही है । क्या आपको इन सब बातों की जानकारी नहीं है ? या फिर सब कुछ जानते हुए भी आंखे मूंद ली हैं आपने। गुलाम नबी आज़ाद जी राज्यसभा से विदा हो रहे थे तो आप रो रहे थे, अब जब लोग तड़प-तड़प दुनिया से विदा हो रहे हैं, तो आप इतने पत्थरदिल कैसे हो सकते हैं सर ? आपकी आंखों के आंसू कैसे सूख सकते हैं सर ?
पिछले साल जब एक दिन मे 500 केस आ रहे थे तब आपने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था, आज जब एक दिन में 2 -3लाख से ज़्यादा केस आ रहे हैं, तब आप बंगाल के चुनाव में व्यस्त हैं। हो सकता है आप पश्चिम बंगाल जीत जाएं । लेकिन पूरा देश हार जाएंगे सर । देश के लोगों को हार जाएंगे आप। आपसे भरोसा खो रहा है उनका ।
????????