प्रथम पुरस्कार
संस्मरण
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प्रथम पुरस्कार
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बात 2016 की है।जब मेरी बड़ी बेटी संस्कृति जी.वी.एम.कान्वेंट स्कूल, बस्ती, उ.प्र में आठवीं की छात्रा थी।उस समय मेरी छोटी बेटी गरिमा भी उसी स्कूल में छठी क्लास में पढ़ रही थी।
विद्यालय में टैलेंट हंट प्रतियोगिता का आयोजन होना था।प्रतियोगिता में मेरी दोनों बेटियों ने जूनियर वर्ग में प्रतिभाग किया।परिणाम आने से पूर्व ही गरिमा परिणाम को लेकर बहुत उत्साहित थी।उसे अपनी दीदी के परिणाम की अधिक चिंता थी।उसका विश्वास था कि दीदी रैंक में जरूर आयेगी,भले ही तीसरे स्थान पर ही रहे।
ज्ञातव्य हो कि उक्त प्रतियोगिता में पूरे जनपद के छात्रों ने प्रतिभाग किया था।
अंततः परिणाम का दिन भी आ गया।
विद्यालय प्रांगण में परिणाम घोषणा/पुरस्कार वितरण हेतु भव्य आयोजन हुआ।पुरस्कार वितरण हेतु गणमान्य व्यक्तियों,जिले के अधिकारियों को भी बुलाया गया।अधिकांश बच्चे अपने अभिभावकों के साथ उपस्थित थे।बच्चों का उत्साह और चहलकदमी देखते ही बन रहा थी।
करीब बारह बजे से परिणाम की घोषणा होने लगी।संस्कृति को अपने वर्ग में प्रथम स्थान मिला और इनाम स्वरूप साइकिल दिया गया।गरिमा को सांत्वना पुरस्कार से संतोष करना पड़ा।
लेकिन गरिमा अपनी दीदी के प्रथम आने और साइकिल मिलने से अति उत्साहित थी।उसकी खुशी इसलिए भी अधिक थी कि अब साइकिल से स्कूल जाने आने को मिलेगा।क्योंकि डर वश अभी हम लोग साइकिल नहीं ले रहे थे।
हम सभी बेटियों की सफलता से मंत्रमुग्ध थे।बेटियों ने अपने पुरस्कार से हमें पुरस्कृत जो कर दिया था।
,✍सुधीर श्रीवास्तव