अपने आत्मविश्वास को इतना बढ़ा लो...
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
हे पुरुष ! तुम स्त्री से अवगत होना.....
चुलबुल चानी - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चार कंधों पर जब, वे जान जा रहा था
क़ाबिल नहीं जो उनपे लुटाया न कीजिए
ग़ज़ल(इश्क में घुल गयी वो ,डली ज़िन्दगी --)
''ये बरसों का सफ़र है हमारे माँ बाप का''