प्रतिभा
प्रतिभा (दुर्मिल सवैया)
प्रतिभा मिलती जब भी तब से य़ह जीवन धन्य सुहावन है।
मन में सुख शांति बसंत खिले दिखता उर मस्त लुभावन है।
लगता य़ह जीवन फागुन है मदिरा मदमस्त किया करता।
मन में प्रतिभा नित नृत्य करे दुख दारिद क्लेश सदा मिटता।
प्रतिभा अति शीतल चन्दन है यह बुद्धि प्रदान किया करती।
सब के दिल को यह भावत है शुभ मंगल वेश धरे चलती।
जिसको यह मानत है मन से वह ज्ञान स्वरूप सदा बनता।
जिससे यह प्रेम किया करती वह भाग्य शिरोमणि सा दिखता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र,हरिहरपुर,वाराणसी -221405