“प्रतिभावान विद्यार्थी” #100 शब्दों की कहानी”
सुनील : पहले शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ने-लिखने और अच्छा ज्ञान रखने की सीख देते थे ताकि हम सब बेहतर इंसान बनने की दिशा में आगे बढ़े । “आजकल तो कॉलेज हो या कोचिंग के शिक्षक हो, चंद पैसों की खातिर अपना ईमान तक खो देते हैं मां ” ।
मां : “अगर मैं शिक्षिका होती” बेटा, विद्यार्थियों को उचित पढ़ाई-लिखाई के साथ, अच्छे संस्कारों का पाठ पढ़ाते हुए समझाती, सबसे ऐसे व्यवहार करो जैसे अपने दिल से करते हो । कोशिश यही करो,किसी के दिल को ठेस ना पहुंचाते हुए सबके प्रति विनम्र रहो, तभी आदर्श प्रतिभावान विद्यार्थी बनोगे ।