Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Dec 2023 · 2 min read

#प्रणय_गीत:-

#आत्मकथ्य_और_गीत
■ प्रणय की बात : गीत के साथ
“आज के ऊहा-पोहा भरे जीवन की गाड़ी चलाने के लिए दिन-रात की दो अलग-अलग पारियों में अपनी बारी के मुताबिक़ केवल काम और जीवन देखते ही देखते तमाम।”
बस, आज की दुनिया के इसी कड़वे सच के बीच धड़कते युवा दिलों की पीड़ा और त्रासदी को मुखर करना हो तो उसका बस एक ही माध्यम है और वो माध्यम है प्रणय-वेदना से भरा एक गीत।
एक ऐसा गीत जो अस्तित्व पाने के बाद आप जैसे सुधि मित्रों को जीवन की आपाधापी में दम तोड़ते जज़्बातों से परिचित करा सके। मन को मनन पर बाध्य कर सके।
ऐसे एक गीत के लिए ज़रूरी हैं भावों के अनुरूप बिम्ब और प्रतिमान। जिसे लेकर एक प्रयोगधर्मी गीतकार के तौर पर मैं सदैव कल्पनारत रहता हूँ। आज भी हूँ, एक अनूठे गीत के साथ।
मन हो तो मन से ही पढ़िएगा। रात की तन्हाई को सिरहाने लगा कर। उन दिनों को ज़हन में रख कर, जब हम भी जवान थे। तमाम पाबंदियों के बावजूद इस तरह की मजबूरियों से कोसों दूर। कुछ महसूस कर पाएं तो मुझे भी बताएं, लेकिन संजीदगी के साथ। शुक्रिया दिल से, आपकी इनायतों व नवाज़िशों के नाम। अब पढ़िए गीत-

#प्रणयगीत
■ रात-रानी और सूरजमुखी

◆ आँसुओं की जुबानी सुनो।
प्रेम की है कहानी सुनो।।
एक होता था सूरजमुखी,
एक थी रात-रानी सुनो।।

◆ एक दिन का शहंशाह था,
एक थी मल्लिका रात की।
देख लेते थे आपस में पर,
थी ना मोहलत मुलाक़ात की।
थी मचलती जवानी सुनो।
प्रेम की है कहानी सुनो।।

◆ एक पर धूप सा रूप तो,
एक पर चाँदनी सी चमक।
एक पर खुशनुमा रंगतें,
एक पर मदभरी सी महक।
रुत थी सच में सुहानी सुनो।
प्रेम की है कहानी सुनो।।

◆ इसका यौवन था दिन पे टिका,
उसकी उम्मीद थी रात पर।
थी इधर जागती बेबसी,
तो उधर करवटें रात भर।
हो न पाए रुमानी सुनो।
प्रेम की है कहानी सुनो।।

◆ दिन महीने गुज़रते गए,
हाल हद तक हठीले हुए।
हाथ हल्दी नहीं लग सकी,
पात दोनों के पीले हुए।
अब थी दुनिया विरानी सुनो।
प्रेम की है कहानी सुनो।।’

■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

2 Likes · 217 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
pita
pita
Dr.Pratibha Prakash
कुपमंडुक
कुपमंडुक
Rajeev Dutta
पहले खंडहरों की दास्तान
पहले खंडहरों की दास्तान "शिलालेख" बताते थे। आने वाले कल में
*प्रणय*
बड़ी  हसीन  रात  थी  बड़े  हसीन  लोग  थे।
बड़ी हसीन रात थी बड़े हसीन लोग थे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
FUN88 là nhà cái uy tín 16 năm tại thị trường cá cược ăn tiề
FUN88 là nhà cái uy tín 16 năm tại thị trường cá cược ăn tiề
Nhà cái Fun88
"" *इबादत ए पत्थर* ""
सुनीलानंद महंत
रुत चुनाव की आई 🙏
रुत चुनाव की आई 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
--कहाँ खो गया ज़माना अब--
--कहाँ खो गया ज़माना अब--
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
"विडम्बना"
Dr. Kishan tandon kranti
भीगे अरमाॅ॑ भीगी पलकें
भीगे अरमाॅ॑ भीगी पलकें
VINOD CHAUHAN
कविता- 2- 🌸*बदलाव*🌸
कविता- 2- 🌸*बदलाव*🌸
Mahima shukla
आँसू छलके आँख से,
आँसू छलके आँख से,
sushil sarna
क्या लिखूँ
क्या लिखूँ
Dr. Rajeev Jain
भक्ति गाना
भक्ति गाना
Arghyadeep Chakraborty
जागता हूँ मैं दीवाना, यादों के संग तेरे,
जागता हूँ मैं दीवाना, यादों के संग तेरे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रिश्ते और साथ टूटना कभी भी अच्छा नहीं है हमारे हिसाब से हर व
रिश्ते और साथ टूटना कभी भी अच्छा नहीं है हमारे हिसाब से हर व
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
*शिक्षक जी को नमन हमारा (बाल कविता)*
*शिक्षक जी को नमन हमारा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Shankarlal Dwivedi reciting his verses and Dr Ramkumar Verma and other literary dignitaries listening to him intently.
Shankarlal Dwivedi reciting his verses and Dr Ramkumar Verma and other literary dignitaries listening to him intently.
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
गवाही देंगे
गवाही देंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Yesterday ? Night
Yesterday ? Night
Otteri Selvakumar
निर्मोही से लगाव का
निर्मोही से लगाव का
Chitra Bisht
समरसता की दृष्टि रखिए
समरसता की दृष्टि रखिए
Dinesh Kumar Gangwar
लेकिन कैसे हुआ मैं बदनाम
लेकिन कैसे हुआ मैं बदनाम
gurudeenverma198
3178.*पूर्णिका*
3178.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*बस मे भीड़ बड़ी रह गई मै खड़ी बैठने को मिली ना जगह*
*बस मे भीड़ बड़ी रह गई मै खड़ी बैठने को मिली ना जगह*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शमशान की राख देखकर मन में एक खयाल आया
शमशान की राख देखकर मन में एक खयाल आया
शेखर सिंह
దేవత స్వరూపం గో మాత
దేవత స్వరూపం గో మాత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मैने देखा है लोगों को खुद से दूर होते,
मैने देखा है लोगों को खुद से दूर होते,
पूर्वार्थ
कभी पास बैठो तो सुनावो दिल का हाल
कभी पास बैठो तो सुनावो दिल का हाल
Ranjeet kumar patre
एक घर मे दो लोग रहते है
एक घर मे दो लोग रहते है
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Loading...