” प्रणम्य देवता “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हमारे सामाजिक परिवेशों में ,विध्यालयों में ,महाविध्यालयों में ,शहरों में और अपने कार्यालयों में श्रेष्ठ लोगों की संख्या रहती है ! कुछ उम्रों की प्रधानता ,कुछ अनुभवों की प्रधानता ,किन्हीं में विद्वता ,कोई दार्शनिक ,कोई लेखक ,कथाकार ,कवि ,समाजसेवक ,प्रतिष्ठित प्रवक्ता ,कलाकार और विभिन्य क्षेत्र के विशिष्ठ व्यक्तियों को हम ” प्रणम्य देवता ” मान लेते हैं ! उनके दर्शन मात्र हम उन्हें प्रणाम और अभिवादन अपने सर को झुका के करते हैं ! उनके स्नेहमयी आशीष हमारा मार्ग प्रसस्त करता है ! उनके आदशों को रुद्राक्ष बना अपने उर में आजन्म लगाए रखते हैं !
हमारे गुरुदेव हमारे ” प्रणम्य देवता ” रहे ! आज भी अपने को भाग्यशाली मानते हैं जिनका आशीष और सनिध्य किसी ना किसी रूप में प्राप्त होते रहते हैं ! इनके ढाढ़स से हमारे मनोबल तुंग शिखर पर चढ़ जाते हैं !
नवीन युगों के आगमन के साथ हम नए -नए विधाओं से जुडते गए ! फ़ेसबूकों के पन्नों में हमें महान -महान व्यक्तित्व का सानिध्य प्राप्त हुआ ! उनकी दक्षता ,निपुणता ,सजगता और अनुभव का उपयोग अधिकतर मुक दर्शक बनके ही करना पड़ता है ! ये हमारे फ़ेसबूक के ” प्रणम्य देवता “हैं पर अधिकतर ये प्रणाम अभिनंदन स्वीकार ही नहीं करते तो उनके आशीष से हमें बंचित रहना पड़ता है ! और बंचित रहना पड़ता है इनके मार्ग दर्शन का !
कहने को प्रजातांत्रिक और बंधुत्व के मूल्यों पर आधारित होकर हम लोगों की मित्रता सूची में शामिल तो हो गए पर निरंकुशता और उपेक्षा के लिबास के केचुल को उतार फेंक ना सके !
कृष्ण भगवान भी आराध्य थे ! समस्त लोगों के ” प्रणम्य देवता ” थे ! अपने दोस्त सुदामा को नहीं भूलें ! हमें दूरी नहीं बनानी चाहिए ,हमें सबसे जुड़कर रहना चाहिए !
कुछ युवा कलाकार ,साहित्यकर ,कलाकार ,लेखक ,कवि इत्यादि हैं जिन्हें सिर्फ अपनी धुनों पर ही थिरकना आता है ! अपने हुनर से वे भी ” प्रणम्य देवता ” की श्रेणी आ जाते हैं ! पर उनकी अकर्मण्यता ,मौनता और संबाद रहित भंगिमा उन्हें ” पंचमलामा ” बना देता है !
आप व्यस्त हैं अपनी बड़ी -बड़ी कृतियों को लिखने में ,पर आप सबको आभार स्नेह कह नहीं सकते ! सबको एक साथ एक शब्द Thank you कह देते हैं ! आपकी कृतियों का यदि कोई समालोचना करता है तो उसे आभार तो दें और यदि आपके पास इतना समय नहीं है तो आपने अपना सैन्य संगठन का विस्तार क्यों किया ? ” प्रणम्य देवता “सबके हृदय में बसते हैं ! हमें सबके हृदय में बसना चाहिए !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस0 पी0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत