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3 Nov 2019 · 1 min read

प्रज्ञा शक्ति

कुछ कहने से पहले कुछ सोचो।और कुछ करने से पहले कुछ समझो। यही सोचो समझ तुम्हारे हाथ में है। क्योंकि शब्द के तीर निकल जाने के बाद वापस नहीं आयेंगे ।और गलत समझने से निर्णय गलत होने की संभावनायें बढ़ जायेंगी। मनुष्य की प्रज्ञा शक्ति का विकास अन्तःनिहित संस्कारों,ज्ञानोपार्जन, तर्क संगत नीति पालन, एवं परिस्थितियों का सामना करने मे प्रयुक्त कार्य प्रणाली के अनुभव से होता है। सही समय पर सही सलाह जो तर्क संगत हो प्रज्ञाशक्ति के विकास मे सहायक सिद्ध होते हैं। भीड़ की मनोवृत्ति एवं पूर्वाग्रह से प्रज्ञा शक्ति का हनन होता है ।व्यक्तिगत सोच एवं आत्म विश्लेषण जिसमें गहन चिंतन का समावेश होता है से प्रज्ञा शक्ति मे निखार आता है।
‌ समय-समय पर आयोजित वार्ताओं में विचारों और तर्कों के आदान प्रदान एवं विश्लेषण में निकाले गए नीतिगत निर्णयों से पूर्वाग्रहों एवं धारणाओं मे बदलाव की संभावनाएं बढ़ती हैं। और इसका प्रत्यक्ष प्रभाव प्रज्ञा शक्ति के विकास पर पड़ता है। जीवन दर्शन के गहन अध्ययन एवं संबंधित विषयों पर विचारों के आदान-प्रदान मे प्रस्तुत विचारधाराओं के समग्र आकलन एवं विश्लेषण से व्यक्तिगत सोच प्रखर होती है। अनुकूल वातावरण एवं समूह प्रज्ञा शक्ति के विकास में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियां इसके विकास में बाधक होती हैं।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 2 Comments · 350 Views
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