“प्रचलन ‘लाइक’ का “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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फुर्सत नहीं है
आज हमको
दिल के उदगारों को उकेरने का
हमें तो ‘लाइक’ का मंत्र
आ गया है !
हो कोई दुःख दर्द का मंजर
उसे हम
सांत्वना क्यों आज दें ?
सोचना पढ़ना
सभी को त्याग दें
मित्रता का मंत्र अब तो सिमट कर रह गया
फेस बुक और वेत्सप्प
के भंवर में
फँस गया !
जब तक नहीं हम जुड़ सकेंगे
तब तक नही हमं बढ़ सकेंगे !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
दुमका