प्रकृति
विषय —
प्रकृति —
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स्वर्ण अरुण से गगन नहाया।
भोर हुआ सूरज उग आया।।
चली यामिनी तम के बादल।
उषा किरण नभ उजला आँचल ।।
बाग-बगीचे सुरभित महकें।
पंख पसारे खग-मृग चहकें।।
शीतल हवा सुगंधित डोले।
हर्षित जन-मन ऊर्जा घोले।।
लदे वृक्ष फल झूम रहें हैं।
धरती अंबर चूम रहें हैं ।।
आम्र वृक्ष पर कोकिल गाती।
मधुर रसीले गीत सुनाती।।
पुष्पित सौरभ रस से फूलें।
नव पल्लव से अलि दल झूलें।।
कल-कल बहता निर्झर झरना।
धन्य उपहार प्रभु जग करना।।
सावधान मन मानव रहना।
नित्य प्रकृति संवर्धन करना।।
सुनो प्रकृति का राग सुहावन।
मिले धरा पर जीवन पावन।।
✍️ सीमा गर्ग ‘मंजरी’
मौलिक सृजन
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।