प्रकृति
##मेरी ये पोस्ट उन पुरुषों के लिए है जो स्त्री को आज भी सिर्फ एक मोहरा मानते हैं और उनका शोषण करते हैं ।बाकी मित्र अपनी स्वस्थ प्रतिक्रिया जरूर दें ।??
प्रकृति की प्रत्येक रचना सुंदर होती है ।फूल पत्ते पेड़ पौधे जमीन आसमान स्त्री पुरुष ।तुम प्रत्येक औरत को सुंदर भी कहते हो और चरित्र हींन भी ।सुंदर इसलिए कि वो येनकेन प्रकारेण तुम्हारी तरफ देखे और चरित्रहीन इसलिए कि वो तुमसे बात नहीं करती । क्यों अपनी जिंदगी इन फालतू की बातों में बसर करते हो । हर पुरुष और स्त्री में सुंदरता की परिभाषा छिपी होती है जिसे एक साधारण स्त्री पुरुष कभी समझने की कोशिश ही नहीं करते । कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए सुंदर नहीं कि वो सिर्फ गोरा /गोरी है ,सुंदरता का मापदंड उसका पूरा व्यकित्व है जिसमें उसकी भाषा बोली बोलने का लहजा सभी कुछ मायने रखता है ।स्त्री को ईश्वर ने एक 6th सेंस भी दिया है जिसके जरिये वो सामने वाले व्यक्ति की दृष्टि और दृष्टिकोण को समझने में सक्षम है ।जरा याद कीजिये अपनी माँ को जो तुम्हें कब किस चीज की जरूरत है तुरंत बिना कहे ही समझ लेती थी ।याद कीजिये उस बहन को जो आपकी जेब को देखने से पहले ही आपकी अनकही बात को समझ लेती है ।याद कीजिये उस पत्नी को जो आप कब किस समय किस दौर से गुजर रहे हैं आपके बिना कहे ही समझ जाती है फिर उसी स्त्री से आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वो आपकी घिनौनी हरकत को नहीं समझ पाएगी ।सोचिये और उसके बाद ही किसी के साथ फाल्ट करने की हिम्मत कीजिये ।आज स्त्री पुरुष की गुलाम नहीं उसकी साथी है ।यदि आप उसे इज्जत देंगे तभी आप सम्मान पाने के अधिकारी हैं ।आज भी घर हो या कोई भी क्षेत्र पुरुष स्त्री के ऊपर हावी होने की उम्मीद रखता है । वो सोचता है कि यदि ये मेरे झांसे में आ जाती है तो बहुत ही अच्छा इससे एक पंथ दो काज हो जाएंगे ।वरना मैं तो इज्जतदार हूँ ही ।
#चाहे तो पत्थर तोड़ दे ,
चाहे तो तुमको जोड़ दे ।
स्त्री वो हिमायत है आज
जब चाहे हिमाकत छोड़ दे ।#
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़