प्रकृति सुनाये चीखकर, विपदाओं के गीत
दरकें दीवारे यहाँ, बेघर होते लोग
मजबूरी में छोड़ते, जोशीमठ को लोग
लोग पहाड़ी झेलते, कुदरत का आक्रोश
लैंडस्लाइड हो रहा, शासक हैं बेहोश
लोग उत्तराखंड के, सारे हैं भयभीत
प्रकृति सुनाये चीखकर, विपदाओं के गीत
दहशत में मजबूर क्यों, जीने को हैं लोग
धसे सड़क घरबार सब, कैसा यह संजोग
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*उत्तराखंड: डूब रहा है जोशीमठ, 500 से ज्यादा घरों में दरारें, हर घंटे बढ़ रहा खतरा। जोशीमठ के लोगों के सामने फिलहाल अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। वो हर समय किसी अनहोनी और आपदा के ख़तरे को लेकर डरे हुए हैं।