Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Dec 2019 · 2 min read

प्रकाश पुंज

विनम्र निवेदन
——————
ज्ञान के प्रकाश की तलाश केवल उन्हीं पारंपरिक तरीकों से मत करो जो तुम्हारे जन्म लेते ही समाज द्वारा तुम्हारे दिमाग में जबरन डालने शुरू कर दिए जाते हैं !
तुम्हारा दिमाग पहले से चलती चली आ रही चीजों को रटने मात्र के लिए नहीं बना है. यदि तुम्हारा दिलो-दिमाग पारंपरिक तौर तरीकों से उचटकर किसी अन्य स्थान से रौशनी आती देख लेता है तो कृप्या करके ईश्वर के लिए उस रौशनी की ओर ध्यान देना कि वह तुम्हें क्या समझाना चाहती है , तुम्हें कहां ले जाना चाहती है.
केवल खुद पर भरोसा रखना !
अपने दिलो-दिमाग पर भरोसा रखना !
हमारे आसपास हर पल कुछ नया घटित होकर हमें निरंतर कुछ सिखाने और प्रेरणा देने की चेष्टा कर रहा है !
सूरज,पृथ्वी,चांद,तारे,सागर,नदी,पत्ते, फूल,फल,जीव जंतु, आकाश ,पाताल ,अंधकार ,प्रकाश सब हर क्षण गतिमान हैं और एक प्रकिया से निकलकर दूसरी प्रक्रिया में प्रवेश करते रहते हैं.
पारंपरिक तरीके इन सबसे ध्यान हटाने के लिए भी हो सकते हैं कि तुम कहीं वो न जान जाओ जो तुम्हें भयभीत कर तुमसे छिपाकर रखा गया है!
लेकिन तुम केवल उस प्रकाश की सुनना जो तुम्हें अपनी ओर खींच रहा है !
क्योंकि तुम ईश्वर की बनाई एक ऐसी रचना हो जिसे किसी भी पारंपरिक और सदियों पुरानी चरमराई व्यवस्था के हाथों तहस नहस होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता !
क्योंकि याद रखो कि संपूर्ण ब्रहमांड तुम ही हो !
कड़वा है किंतु सत्य है !
नोट – दुख होता है कि जब एक 3 साल का अबोध स्कूल के गेट के भीतर पहली बार प्रवेश करता है तो कभी कभी उस गेट के अंदर जो पूरा सिस्टम चल रहा होता है, उसके पास उस 3 वर्षीय अबोध को जानने , समझने और देने के लिए कुछ नहीं होता सिवाय फोटोग्राफी के लिए कराई जाने वाली फेक ऐक्टिविटीज़ के जो तितलियों, पंछियों,पौधों,कागज़ की नावों ,सैंडपिट और खिलौनों के साथ एक फिल्म की शूटिंग की तरह कराई जाती हैं !
जो दिखता है वो अक्सर होता नहीं . अपनी नन्ही जान को केवल एक चरमराई हुई व्यवस्था के हाथों में ही पूरी तरह सौप कर निश्चिंत मत बैठिएगा .
मेरी बात हो सकता है कई लोगों को ठीक न भी लगे , लेकिन यह विनम्र निवेदन है !

#RIPeducationsystem
©®Sugyata

Language: Hindi
Tag: लेख
290 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रिश्ते बचाएं
रिश्ते बचाएं
Sonam Puneet Dubey
मैंने प्रेम किया और प्रेम को जिया भी।
मैंने प्रेम किया और प्रेम को जिया भी।
लक्ष्मी सिंह
*हरा रंग सारे रंगों पर, देखो तो सबसे भारी है (राधेश्यामी छंद
*हरा रंग सारे रंगों पर, देखो तो सबसे भारी है (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
साँझ ढली पंछी चले,
साँझ ढली पंछी चले,
sushil sarna
इंसान उसी वक़्त लगभग हार जाता है,
इंसान उसी वक़्त लगभग हार जाता है,
Ajit Kumar "Karn"
3492.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3492.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
नदी की बूंद
नदी की बूंद
Sanjay ' शून्य'
हमारे हाथ से एक सबक:
हमारे हाथ से एक सबक:
पूर्वार्थ
टमाटर के
टमाटर के
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अज़ल से इंतजार किसका है
अज़ल से इंतजार किसका है
Shweta Soni
फ़ूल भी फूलों से कहते हैं।
फ़ूल भी फूलों से कहते हैं।
Neeraj Agarwal
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बेटे का जन्मदिन
बेटे का जन्मदिन
Ashwani Kumar Jaiswal
मेरा भारत महान --
मेरा भारत महान --
Seema Garg
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
पतझड़ के मौसम हो तो पेड़ों को संभलना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
पुरानी गली के कुछ इल्ज़ाम है अभी तुम पर,
पुरानी गली के कुछ इल्ज़ाम है अभी तुम पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वक्त गुजर जायेगा
वक्त गुजर जायेगा
Sonu sugandh
माँ में मिला गुरुत्व ही सांसों के अनंत विस्तार के व्यापक स्त
माँ में मिला गुरुत्व ही सांसों के अनंत विस्तार के व्यापक स्त
©️ दामिनी नारायण सिंह
हिन्दी भाषा
हिन्दी भाषा
राधेश्याम "रागी"
कलयुगी संसार
कलयुगी संसार
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
मेरे भाव मेरे भगवन
मेरे भाव मेरे भगवन
Dr.sima
तेरा मेरा वो मिलन अब है कहानी की तरह।
तेरा मेरा वो मिलन अब है कहानी की तरह।
सत्य कुमार प्रेमी
नमन है_मेरा वीर_नारी आप_को..🙏💐
नमन है_मेरा वीर_नारी आप_को..🙏💐
Shubham Pandey (S P)
" ठेस "
Dr. Kishan tandon kranti
..
..
*प्रणय*
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
Suryakant Dwivedi
*
*"श्रद्धा विश्वास रुपिणौ'"*
Shashi kala vyas
नवयुग का भारत
नवयुग का भारत
AMRESH KUMAR VERMA
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
सब्र का बांँध यदि टूट गया
सब्र का बांँध यदि टूट गया
Buddha Prakash
Loading...