प्यासे को पानी ….
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6.5.24.
बहर-ए-हिन्दी मुतकारिब मुसद्दस मुज़ाफ़
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़े
22 22 22 22 22 2
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प्यासे को पानी भूखे निवाला देना
जो दिया तले मांगे उजाला देना
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क्यों उलझ रहे केवल भ्रम के मायाजाल
बुरे सोच के हर माथे टीका काला देना
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वे जो लूट रहे हैं चारों तरफ खजाने
इन मंसूबों तत्क्षण देश निकाला देना
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उजड़े नहीं सुहाग कोई माता ना रोए
नियमो की नौबत ना हील हवाला देना
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अच्छे दिन का आना अब भी है बाकी
अब भी बचा मन अवसादों को ताला देना
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जोश खरोश में हो घर घर जन जन की वाणी
हर पूजा मंदिर हर मंदिर शिवाला देना
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर
जोन 1 स्ट्रीट 3 दुर्ग छत्तीसगढ़