*प्यासा कौआ*
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प्यासा कौआ
एक कौआ था बहुत प्यासा,
पानी पीने की थी आस।
एक-एक कंकड़ बीन के लाता,
बुझाएगा अपनी प्यास।।
मटके में डाली थीं कंकड़,
पानी का था तल नीचा।
लगातार प्रयास से उसके,
पानी का हुआ तल ऊंचा।।
हिम्मत नहीं हारी उसने,
लगातार करता प्रयास।
पीकर रहूंगा मेहनत से पानी,
था उसको खुद पर विश्वास।।
अंत में पानी ऊपर आया,
चोंच डालकर प्यास बुझाई।
मेहनत कभी व्यर्थ न जाती,
हम सबको ये सीख सिखाई।।