प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय ‘प्यासा’)
एक कुंडलियां छंद-
जीवन जीना जानकर, समझ-बूझ के साथ।
कदम-कदम हरि नाम का,पकड़े रहना हाथ।।
पकड़े रहना हाथ, हरि नीज सांसों रखना ।
हर जीवों में व्याप्त, हरि रूप हरदम लखना ।।
कहता ‘प्यासा’ नाम, हरि रस हर क्षण पीना ।
सबकुछ सफल बनाय, हरि संग जीवन जीना।।
-‘प्यासा’