प्यार हो जाता है।
सुनो ना देव माँ तुमसे मिलना चाहती है ,ये कहते हुए छाया हफस पड़ी पार्क में,देव सच में यकीन नहीं होता अपने कानों पर,फिर से कहो , छाया मत बनो बहुत ही मुश्किल से माँ को आपके बारे में बताया हैं जनाब , हँसी के साथ देव …….
देव के मां -बाप-दिव्या सिंह और देवेंद्र सिंह।
देव की एक मौसी भी है जो चाची भी लगती है,चचेरे देवर ( (देव के चचेरे चाचा ) से दिव्या सिंह ने अपनी बहन की शादी करवाई थी।उन दोनों का प्यार मौसा ज्ञानेंद्र सिंह, मौसी ज्ञानी सिंह , दोनों का प्यार दिव्या सिंह और देवेंद्र के शादी के बाद से ही शुरु हो चुका था ।बहुत संघर्ष के बाद दोनों की शादी कराई गई।
छाया की माँ सौम्या भारती और पिता सोमदत भारती में दोनों में तलाक हो चुका था,जब छाया छोटी सी नन्ही सी थी तभी।
देव,छाया अनुशासित दोनों जिम्मेदार हैं। दोनों में प्यार हो गया था यह प्यार का सिलसिला बहुत दिनों का था दोनों बहुत ही एक दूसरे को पसंद करते थे यह आकर्षण का सिलसिला एक-दो मुलाकातों से नहीं हुआ था ,यह सैनिक स्कूल में पढ़ाने वाली छाया थी और सेना के अंतर्गत काम करने वाले देव । दोनों एक ही शहर देहरादून में पोस्टेड थे।दोनों आते-जाते बहुत सी मुलाकातें होती हैं। दोनों के दोनों के दोस्त एक दूसरे को अच्छा बोलते हैं और चिढ़ाते भी हैं।इस तरह नजर ही नजर में प्यार का सिलसिला शुरू हुआ। देव और छाया संयोगवश पार्क में मिल जाते हैं, दोनों का जवाँ दिल धड़क उठता है। पार्क से छाया घर आती हैऔर रात में सोते समय अपनी माँ को बताती ,छाया सोच में पड़ जाती कैसे अपनी बेटी को समझाये , दोनों खामोश हो जाते हैं कुछ देर तक , छाया को नींद आ जाती है माँ का जवाब का इंतजार करते -करते , छाया की मां का नींद कोसों दूर था उसे अपनी यादों यादों का कारवां उसके पति द्वारा दी गई तलाक और ये जिंदगी अकेली का पति सोमदत्त दर्शाया गया वो जीवनसाथी धोखा, जिसे वो आज तक ना भुला पाती हैं। सोमदत्त का किसी और से प्यार करना बिना बताए ही शादी के बंधन में बंध जाने के लिए तैयार हो जाना,एक दिन अचानक अंतिम पड़ाव में बताना मैं एक लड़की से प्यार करते हैं हम दोनों शादी करेंगे। सौम्या भारती कहर बनकर ये शब्द टूटा था।चाहे उसका बच्चा भी हो तो भी I
एक औरत समाज में बिना पति के रहना ,”कुछ नहीं में परिणत करता है,”। छाया की माँ का आँखो से आँसू निकल जाता है और धीरे धीरे से वह अपने आप में कोसों दूर सोच में ना चाहते हुए पड़ जाती है कैसे दिल कड़ा करके उसने अपने पति को ना चाहते हुए तलाक दी थीं , भीतर से गमगीन माहौल एक नई सोच पैदा कर के जब मेरे लिए प्यार बचा ही नहीं तो इस झूठी शादी का, नन्ही छाया दुनिया से बेखबर,जब हम दोनों मां -बेटी के लिए प्यार ही ना बचा तो इस शादी क्या करूंगी, जो किसी और प्यार के जुनून में है उसे अपनी हर हरकतें अच्छी और सच्ची ही लगती है।सौम्या भारती ने तलाक की अर्जी दी और दोनों ने आपसी सहमति से तलाक हो गया ,ये सोचते -सोचते सुबह हो गयी ,फिर उठकर भगवान शिव को प्रणाम कर दैनिक कार्य में लग गयी। ये हैं संघर्ष की कहानी ।छाया की मां और पिता की है, और तब से छाया की माँ अपने सैनिक भाई के साथ पड़ोसी बनकर रहती हैं। छाया की मां बहुत ही मेहनत कर, छाया को पढ़ाया।बाद में मामा ने सैनिक स्कूल में पढ़ाने के टीचर ट्रेनिंग करा के जॉब जो दिलवाया , जिससे सौम्या भारती खुश हो गयीथी ।
इसी स्कूल छाया में देव को देखा था पहली बार फिर अपने दोस्तो को मुलाकात कि बातें बताई । फिर दोस्तों ने इस मुलाकात को हवा देते हँसी – मजाक करते ,इस तरह एक-
दूसरे के प्रति आकर्षण बहुत ज्यादा विश्वास और प्रेम पैदा
हो गई ।
छाया उठते हुए ही माँ का चेहरा देखती है , माँ कुछ ना बोलते हुए खाना परोसती हैं। बार-बार बेटी के भविष्य को सोच, दुःखी हो जाती है ,मन ही मन शिव बाबा से प्रार्थना करती है सब कुछ अच्छा हो, और छाया की ओर देख कर बोली मैं भाई से इस बारे में बातें करूंगी देखते हैं भाई क्या बोलते हैं। छाया डर कर सहम जाती है और बिना कुछ बोले माँ को प्रणाम कर स्कूल के लिए निकल जाती है।
जब छाया घर आती है तो मां बोलती है कि भाई भी तैयार है पहले हम दोनों देव से मिलेंगे फिर आगे की बात होगी। छाया देव को वो सारी बातें बतातीं है जो माँ ने कहा। एक दिन छाया को लेकर उसकी मां उसके स्कूल गई और अपने भाई के साथ उसने देव को देखा देव को देख दोनो भाई,बहन सोच में पड़ गये देव सेना में भर्ती है कैसे वह हां कर दे।देव का अचानक से प्रणाम करना दोनों का ध्यान भंग कर देता है एक साथ, फिर फिर इधर उधर की बातें हुई और देव का ०यवहार इतना अच्छा लगा दोनों को वो कुछ देर बाद बोले देव से कि मैं छाया से कह दूंगी और सारी बातें बेटा अब हम लोगों को इजाजत दो देव ,बोला कि बड़े इजाजत मांगते नहीं , हुक्म फरमाते हैं,बॉय बॉय आण्टी – अंकल देव। घर आकर सौम्या भारती, बेटी का,मन ही मनअपने से दूर जाने की सोच कर डर जाती है उस समय सब सोचकर छाया से नहीं बोलती लेकिन भविष्य को सोचकर मान जाती है। और बेटी से बोली देव अपने माता-पिता से बात करें तुम देव से कहो, क्या बोली मां, छाया ये कहकर शर्मा गयी । अपने कमरे में जाकर , खुशी से झूम उठी और मेरे बाद मेरी मां का क्या , मैं मां से दूर चली जाउंगी नहीं -नहीं ये यह शब्द नहीं नहीं छाया के कानों में पड़ गई।ये सोचते – सोचते कब रात हो गयी पता ही ना चला माँ के पुकारने से वह सचेत हुई, फिर बोली हां माँ नीचे आती हूँ। मां को देख छाया और ही मन ही मन भावुक हो जाती है और खाना परोसती हैं।रात में देव का फोन आ जाता है छाया को छाया फोन उठाते ही बोली ,माँ और मामा को तुम पसंद हो एक ही सांस में कह गयी सारी बातें । क्या सच मे मैं पास हो
गया, हँसते हुए देव,और तो सुनो देव अब क्या हैं सुनना छाया बोली फिर वो सारी बातें जो उसकी माँ बोली थी ,देव सुनकर थोड़ा गंभीर हो जाता है बातें करते -करते छाया मजाक उड़ाते हुए बोली सब निकल गयी आशकी , दोनों एक साथ हँसते हुए ,और सारी बातें करते हुए फोन रखते हैं देव उलझन में पड़ जाता है कैसे छाया के बारे में बातें करेगा । फिर माँ का चेहरा नजर आया ।
प्यार जुनून होता है,सारी रस्मे , कसमें , खाने के बाद हकीकत से रूबरू होने पर हकीकत के आगे अडिग हो हो जाता हैं सच्चा प्यार Iदेव बहुत दिनों के बाद घर आ रहा है टिंग – टिंग देवेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी से कहा क्या सच है देव की माँ बोली हाँ भाई हाँ देवेंद्र बोला सुबह-सुबह हम मजाक कर रहें हैं वो भी, आप से देव की माँ बोली फोन तो लगाते फिर से , देवेंद्र सिंह बोले ठीक है, माँ फोन लेते हुए अपने पति से हां बेटा कैसे हो ठीक-ठाक माँ ,प्रणाम ,खुश र हो मेरे लाल इ…………?ठीक है माँ ,पापा को दो फोन देवेंद्र सिंह फोन लेते हुए बोलें सब ठीक है मेरे शेर ना ,प्रणाम पापा फिर बहुत सारी बातें……दोस्त अरे यार देव बड़े सर बुला रहे हैं तुम्हें ठीक है पापा फोन रखते हैं ।ये कहकर देव ऑफिस मिलने चला जाता है। इधर छाया स्वयं को सोच कर,कभी माँ के बारे में सोच कर दु:खी हो रही थीं अंदर से एक सोच ,देव के माता-पिता ना माने तब क्या होगा ,इसी बीच माँ आती है आरती का थाल लिए ,और छाया के माथे पर तिलक , आरती देती है ।
देव देवघर पहुंचता है ,अपनी छुट्टी के दिनों में देव,मां पापा का खुशी का ठिकाना नहीं चलते छुट्टी में घर आता है उतना ही दुखी हो जाते हैं जब जाते के समय, देवेंद्र सिंह देव को गले लगा लेता है और माँ खुशी से रोने लगती है,देव माँ की तरफ देखते हुएबोला कि मैं तो आ गया हूं ना अब तो दो मत रोये इस तरह मां बाप से वर्तमान, इधर-उधर की बातें करते हुए खाना खाता है।इस तरह रात हो जाती है। देवी मां से ज्यादा नजदीक था मां को सारी बातें रात में बताता है और अपनी मां का पैर भी दबाते है देव की मां सारी बातें सुनकर सोच में पड़ जाती है फिर बोलती तेरे पापा से बात करती हूं देव की मां की दिव्या सिंह बोलती है मैं पहले की तस्वीर देखुगी ,देवभी तुरंत तैयार हो जाता हैऔर छाया की तस्वीर मां को दिखाता है मां को छाया पसंद हो जाती है छाया की वह तस्वीर बिल्कुल अनुशासित और मासूम सी दिखती है उनकी नजर में ,देव अपनी माँ की ओर देखता है तो दिव्या सिंह सिर हिला कर हामी भरते हुए, देव को अपने कमरे में जाने कहती हैं ।देव अपने कमरे में चला जाता है , दिव्या सिंह अपने कमरे में टहल रही होती है इसी बीच देवेंद्र सिंह आ जाते है आते हुएदेखते हैं कि दिव्या को सोच रही है गमगीन है देवेंद्र सिंह देखा कि उसकेआने का भी उसे पता नहीं चला देवेंद्र सिंह बोले का क्या बात है जी कहां खोए हुए हैं दिव्य सिंह बोली कहीं नहीं और संभलते हुए पति की ओर देखी देवेंद्र सिंह जी अपनी पत्नी को देखा और बोला कुछ तो बात है जो आप मुझसे छुपा रही है फिर दोनों में आ जाते हैं बेड पर लाइट ऑफ कर, दोनों ही बातें करते हैं फिर अचानक दिव्या अपने पति देवेंद्र से कहती है कि बेटा कुंवारा ही रहेगा । देवेंद्र सिंह चौककर क्यों, तब देव की मां देव और छाया के बारे में धीरे-धीरे सब बताती है देव के पिता भड़क जाते हैं और तैयार नहीं होते। सुबह-सुबह ही देवेंद्र सिंह देव के कमरे तक जाते है जिसे देव की माँ देख लेती है और वहाँ से हटने का निवेदन करती है अपने पति से ,तभी देव की मौसी ज्ञानी सिंह आ जाती हैऔर साथ में ज्ञानेंद्र सिंह जो चाचा भी लगते हैं,आते ही एक-दूसरे से शिकायत करने लगते कि देव आया और आप लोग हम लोगों को नहीं बताये इस तरह सब बात करते हैं।कि देव अपने कमरे से निकल कर मौसी और चाचा ज्ञानेंद्र सिंह को प्रणाम कर रहे होते कि ज्ञानेंद्र सिंह देव को गले लगा लेते हैं क्योंकि इन दोनों की अभी तक कोई भी औलाद नहीं थी ,उम्र भी होते जा रहा था और किसी भी चीज की कमी ना थी । दो से तीन दिन देव की मां की देवेंद्र सिंह को बहुत समझाने से उसके पिता तैयार हो जाते हैं छाया को देखने के लिए लेकिन अंदर ही अंदर छाया की मां की अकेले की रहने के बारे में सुनकर थोड़ा गलत विचार पैदा कर लेते ।
हैं।देव का खुशी से ठिकाना नहीं रहा जब यह बातें सुना कि पापा भी तैयार हो गये हैं । इधर देव की मां अपनी बहन ज्ञानी सिंह और ज्ञानेंद्र सिंह को बुलाकर सारी बाते दोनों समझा देते हैं देव के मां-बाप,उधर देव छाया से सारी बातें बताता है। एक दिन सब मिलकर देहरादून पहुंचते हैं जहां छाया का स्कूल और सेना का छावनी , रहता है सब गेस्ट हाउस में ठहरते हैं।इधर सारी बातें फिक्स कर देव खुश हो जाता हैपार्क में देव सभी के साथ पहुंचते हैं , छाया भी अपने मामा , माँ के साथ पहुंचती हैदेव, सभी का परिचय कराते हुए बुहुत ही खुश था। छाया सभी को प्रणाम करती हुए देव की मम्मी पापा को बड़े श्रद्धा के साथ प्रणाम करते हुए लेकिन देव के पापा छाया को प्रणाम के लिए झुकते हैं देख उसे प्रणाम नहीं करने देते सब ठीक है ठीक है देवेंद्र सिंह ,सौम्या भारती को उपेक्षा भरी निगाह से देखते हैं हुए नमस्ते करते हैं जो सौम्या भारती
भांप लेती है ।कुछ देर सब इधर-उधर की बातें करते रहे फिर ,देव के माता-पिता, मौसी,चाचा आपसी सहमति से छाया को उपहार देते हुए विदा लेते हैं और कहते हैं कि छाया मुझे पसंद है।और बाद में होगी बातें ,ये सुनकर छाया की मां खुश तो। हो जाती है पर बाद की बात सुनकर सोच में पड़ जाती है।
इधर चाचा पूरे कॉलोनी मे ये बातें उछाल रहे थे ,उसी दिन सब मिलकर बातें ही कर रहे थें कि अचानक मौसी गिर जाती है सभी घबरा जाते हैं फिर जल्दी से डॉक्टर को बुलाते हैं। डॉक्टर देखते हुए कुछ देर के बाद बोलते हैं कि मौसी प्रेग्नेंट हैं,ये सुनकर हतप्रभ हो जाते हैं और खुशी से ज्ञानेंद्र सिंह उछल जाते हैं ,फिर सभी एक -दूसरे को मिठाई खिलाते हैं । मौसी का तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा और अपनी बहन दिव्या सिह को बुलाते हुए कहती है कि यह शादी पक्की कर दो दीदी छाया बहुत ही अच्छीऔर लक्की है ।
मौसी और चाचा को तहे दिल से प्यार करने लगते हैं।इस तरह खुशी पैदा होती है परिवार में और सभी जुनून के साथ छाया और देव की शादी की तैयारी में लग जाती हैं।