प्यार से जो है आशना ही नहीं
प्यार से जो है आशना ही नहीं
ज़ीस्त का उसको तजरुबा ही नहीं
ख़्वाब से जुड़ चुका है इस दरजा
दिल हक़ीक़त को मानता ही नहीं
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद
प्यार से जो है आशना ही नहीं
ज़ीस्त का उसको तजरुबा ही नहीं
ख़्वाब से जुड़ चुका है इस दरजा
दिल हक़ीक़त को मानता ही नहीं
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद