प्यार लुटाती प्रेमिका
प्यार लुटाती प्रेमिका,करती मधु व्यवहार।
कुछ तो करतीं प्यार सत,कुछ मांगे गल हार।।
प्रेमी से प्यारा लगे,स्वर्ण धातु का हार।
मिलता यदि नहि हार तो, करती हैं दुत्कार।।
कलियुग की बहु प्रेमिका,करें अर्थ से प्यार।
दौलत लख बदलें तुरत,अपना प्रेमी यार।।
आज प्रेम बस शौक है, समय पास आधार।
मौसम सम बदले युवा, निश दिन अपना प्यार।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम