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11 Dec 2023 · 2 min read

*प्यार या एहसान*

प्यार या एहसान

माँ जल्दी से तैयार हो जाओ!
हमें अभी निकलना है फिर पता नहीं कब आ पाए ? मंझले बेटे ने माँ से कुछ नजर चुराते हुए कहा।
माँ ने बेटे को नजर चुराते देख लिया था फिर भी बोली ठीक है बेटा! माँ ने सोचा चलो साल भर बाद ही सही किसी बहाने से ही सही मैं अपने छोटे बेटे के घर (इस नरक जैसे जीवन से) से आजाद तो हुई।
जल्दी-जल्दी अपना छोटा-मोटा सामान, दवाइयां, चश्मा आदि इकट्ठा करने लगी और गौर से उस घर की चारदीवारी को देखने लगी जो रात दिन मेहनत करके नौकरी करके बनाई थी लेकिन आज उसकी कोई कीमत नहीं रह गई थी इन बहू बेटों के लिए। छोटी बहू तो इस 60 साल की कमाई को एक टूटा फूटा खंडहर कहती है। रात दिन बस एक ही लड़ाई मुझे नया घर बनवा कर दो? घर में नौकरानी लगवा दो? जो कभी-कभी जरूरत पड़ने पर काम करने आ जाती है। मेरी शादी इस सीधे-साधे आदमी से कर दी मुझे नहीं रहना मैं मर जाऊंगी ? या छोड़कर चली जाऊंगी इन 13 सालों में उसने इन दोनों धमकियां में से एक भी धमकी पर काम नहीं किया सिर्फ सुबह शाम कोरी धमकियों के सिवा ? अब तो जैसे मुझे भी आदत सी हो गई है दो वक्त का खाना मिलने से पहले यह शब्द सुनने को मिलते हैं की अपनी माँ से कह खुद खाना बनाए और खाएं ? और हाँ कह दे अपनी माँ से मैं आज के बाद खाना नहीं दूंगी ? माँ बहू की बातें सोचे जा रही थी और आंसुओं की धारा निर्झर बह रही थी एक-एक शब्द हथौड़े की आवाज की तरह कानों में गूंज रहे थे। माँ चलो !बेटे के शब्दों ने माँ को जैसे किसी स्वप्न से जगाया हो। माँ की सांस फूल रही थी और मन भी अपने पोते से दूर जाने पर परेशान हो रहा था। मंझली बहू ने भी तो यही कहकर गाॅंव भेज दिया था कि अब मैं बताती हूँ कि चालाक औरत क्या होती है ? यह शब्द माँ से तब कहे जब दिल्ली से गाॅंव मछली बहू ने माँ को छोड़ा था।
अपनी बीवी के इन शब्दों से मझला भाई भी अनजान था क्योंकि वह माँ के सामने कुछ नहीं कहती पता नहीं उसने बेटे से क्या कहा होगा ? बेटे ने माँ से कहा था माँ दिल्ली में प्रदूषण बहुत है !आप आराम से गाँव में रहो अगर छोटे के पास मन ना हो तो अकेले रह लेना, काम वाली लगा लेना, दवाई टाइम से लेती रहना ,अपना ख्याल रखना।आज वही बेटा ले जा रहा है क्योंकि मेरे भतीजे की शादी है ? बेटे के पड़ोस में ही रहता है मेरा भाई चार दिन के लिए ही सही बेटा अपने साथ तो ले जा रहा है। उसके बाद देखा जाएगा कौन से स्वर्ग या नर्क में बेटे छोड़ देंगे इसी द्वंद में फँसी माँ गाड़ी में बैठकर दिल्ली के रास्ते का सफर तय करने लगी।

हरमिंदर कौर ,अमरोहा
@@स्वरचित मौलिक रचना

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