प्यार में बहुत कुछ खोया है
प्यार में बहुत कुछ खोया है
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प्यार में बहुत कुछ खोया है,
दिल बहुत दिनों तक रोया है।
बोझ जिंदगी का यारों सारा,
भार बाजुओं पर ही ढोया है।
झोंक कर ज़माने की ताकत,
बांध कर कफ़न वो रोया है।
देख ली बड़ी दुनियादारी,
भोगता वही जो बोया है।
इस क़दर कढा है मनसीरत,
पाप को पुण्य ने धोया है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल(