प्यार निभाना सीख लेना
प्यार किया तो निभाना सीख लेना।
बस इतना सा फसाना सीख लेना।
जिसके नसीब में सूरज नहीं लिखा ,
उस रात के लिए दीया जलाना सीख लेना।
उठे जब दर्द की लहरें ,दिल के समन्दर में
बड़े सलीके से इनको दबाना सीख लेना।
अशको को आँखो से कभी जुदा मत करना,
इस महँगी दौलत को सबसे छिपाना सीख लेना।
तूफान कभी तुझसे दोस्ती नहीं करेंगे,
कश्ती , तू अपने दुश्मन को हराना सीख लेना।
काग़ज पर लिख लेना, दिल की हर बात ” राही,
कही, अनकही अपनी सब बात बताना सीख लेना।
गिरीश गुप्ता
मौलिक व स्वरचित
बड़ौदा, गुजरात