प्यार के हार फिर मुस्कुराने लगे
पोरुओं से इन्हें वो उठाने लगे
उन को’ आँसू भी मोती के दाने लगे
जब पिरोया उन्होंने प्रणय डोर में
प्यार के हार फिर मुस्कुराने लगे
प्रीत जब मिल गई स्वर्ण जैसी खरी
ज़िन्दगी तब लगी राह फूलों भरी
स्वप्न हम भी सुनहरे सजाने लगे
प्यार के हार फिर मुस्कुराने लगे
मिट अँधेरे गये छा गई रोशनी
मिल गई चाँद को चाँद की चाँदनी
दीप उम्मीद के झिलमिलाने लगे
प्यार के हार फिर मुस्कुराने लगे
वो हमें जब मिले, हम रहे हम नहीं
अब रहा ज़िन्दगी में कोई गम नहीं
हर जगह वो नज़र हमको आने लगे
प्यार के हार फिर मुस्कुराने लगे
जब हुआ प्यार का प्यार से सामना
हम बिना पंख उड़ने लगे अर्चना
बादलों में नया घर बनाने लगे
प्यार के हार फिर मुस्कुराने लगे
02-09-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद N