“ प्यार की अनुभूति “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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तुम अपने होंठों से कोई गीत सुनाओ ,
नयनों की भाषा से मेरा दिल बहलाओ !
अंगों की मादकता से अमृत रस बरसे ,
मन के आँगन में कोई फूल खिलाओ !!
तेरी भीगी भीगी खुसबू ,
को अपने ही पास रखूँ !
तेरी साँसों की रफ़तारों ,
के संग मैं चलता रहूँ !!
रातों की तनहाई में कुछ बात बताओ ,
प्यार भरा जीवन का कोई राग सुनाओ !
अंगों की मादकता से अमृत रस बरसे ,
मन के आँगन में कोई फूल खिलाओ !!
तेरी जुल्फों के साये में ,
मेरी अब रात कटेगी !
जन्मों की प्यासी रूहों ,
की अब प्यास बुझेगी !!
इस मिलन के क्षण को अमर बनाओ ,
जीवन के सुखसागर का आनंद उठाओ !
अंगों की मादकता से अमृत रस बरसे ,
मन के आँगन में कोई फूल खिलाओ !!
हम दूर रहे तुम दूर रहे ,
और नहीं रह सकते हैं !
जीवन तो है साथ मधुर ,
जब संग सदा ही रहते हैं !!
नये गीत सुर का कोई गीत बनाओ ,
मेरे कानों में अमृत धारा बन जाओ !
अंगों की मादकता से अमृत रस बरसे ,
तुम अपने होंठों से कोई गीत सुनाओ !!
नयनों की भाषा से मेरा दिल बहलाओ ,
अंगों की मादकता से अमृत रस बरसे !
मन के आँगन में कोई फूल खिलाओ ,
मन के आँगन में कोई फूल खिलाओ !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत