प्यार का मूल्य
प्यार का मूल्य
अंग- अंग से प्यार का,खुशबूदार बसंत।
दिखता चारोंओर है, जानें कान्हा कंत।।
यह संस्कृति है निर्मला,स्वच्छ धवल इतिहास।
इसके कारण चमकता,उन्नत भाल विलास।
मधुरिम सावन मस्त -सा,इसका भव्य ललाट।
आदि शक्ति यह सृष्टि की,प्रिय रंगीन कपाट।।
उर्मिल इसके भाव हैं, खुद सम्मोहक मंत्र।
अक्षुण्ण यह भंडार है,चुम्बकीय संयन्त्र।।
धर्मपरायण हैं सभी,बँधे हुए सब लोग।
ग्रह-नक्षत्र सभी जुड़े,करें निरन्तर योग।।
यह माया है उज्ज्वला,सम्मोहक विस्तार।
कृष्ण-राधिका का यही,आलोकित संसार।।
यह अमूल्य संसार है,आदि अंत से हीन।
अति अपार विस्तारमय,सर्व व्याप्त मधु- वीन।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।