‘ प्यार करने मैदान में उतरा तो नही जीत पाऊंगा’ ❤️
‘ प्यार करने मैदान में उतरा तो नही जीत पाऊंगा’ जैसे सन्त होते हैं सुख – दुख-मोह-माया से भिज्ञ होते हुए भी इहलौकिक ( सांसारिक) जीवन मे नही लौटते । वे जानते हैं कि सिद्ध करने के चक्कर मे ना प्रेम बच पायेगा और ना स्वयं पर प्राप्त विजय का सार ; जबकि प्रेम का होना और जीवन मे एकान्तता ( alone) का होना वैसे ही है जैसे ” एरी रूप अगाधे बोलो राधे राधे ….।” maturity के स्तर पर कहा जाए तो गीता के उस श्लोक से तुलना किया जा सकता है. जो इहलौकिक में रहते हुए दुख सुख प्रेम सभी में समान भाव रखता है ” योगस्य कुरू कर्माणि ……” ।
गालिब की भाषा मे कहूँ तो ” हमे मालूम है जन्नत की हक्कीकत ..” या फिर कबीर के दिलेरी में नज्म पढू तो” प्रेम गली अति साकरी जा मैं दो न समाहीं ” अगर तुलसीदास के भजन कीर्तन की अवधी में पत्रा देखूं तो” तुलसी घर बन बीच ही , राम प्रेम पुर छाई ” , ठीक वैसे मोहम्मद जायसी ने भी बढ़े तजुर्बे से जिंदगी के प्रेम और सुख- दुख को कहा है कि ” फूल मरे पै मरै न बासू ” । वैसे ही जब मैं उतरूंगा तो जीत नही पाऊंगा ।
वेस्टर्न फिलॉस्फर की जब बाते और विचार मेरे मन मे उमड़ते है तो सबसे पहले मेरे जेहन में मनोविश्लेषण दार्शनिक सिग्मंड फ्रायड नजर आता है उनका ईडिपस इलेक्ट्रा इड, सुपर ईगो और ईगो मुझे संतुलित करने लगता है हालांकि मेरी दृष्टिकोण नीत्शे ,हीगेल और इतिहास के भाषा मे हिटलर ,मुसोलिनी और मैजनी जैसा आतंक के प्रेम ( wild love) जैसा है पर फिलहाल उसमें स्थिरप्रज्ञ और सद्गुण है । ऐसा नही की मैं उतरूंगा तो विफल या असफल हो जाऊंगा ,लेकिन जानने के बाद ” तल्फे बिन बालम मोर जिया ” ये मुझसे नही होता । अतः उस क्षेत्र में जाने से पहले ही खुद को दरकिनार कर लेना बेहतर है यह असफलता नही बल्कि छोटे से रूप में विजय सिद्धि कह सकते हैं ।
मजा तो इसमें है कि उस गली में जाकर वापस लौट आना और पुनः अपने कार्य मे लग जाना । अगर इसकी तुलना बुद्ध की वासना वाले कथन से करू तो ‘ इसमें लिप्त होना ऐसा ही होगा जैसे गुड से लिपटी चींटी और वासना ( सेक्स) से लिपटा इंसान का होता है निकलना तो दूर जान भी नही बचती । ‘
फिर भी यह बेहतर मैदान है मीरा ,राधा, और सीता जैसी लोगो ने इसे जीतकर इसका मान सम्मान बढ़ाया वही हीर, लैला जैसे लोगो ने इसमें जुदाई और त्याग की भावना को प्रदर्शित कर दिया । आधुनिक युग का तय होना maturity जैसे शब्द से होता है आज कल के भाषा मे इसे true love या ब्रेक अप पार्टी कहते हैं ।
अतः ” एरी रूप अगाधे राधे राधे ,तेरी मिलिवे को बृजमोहन बहुत जतन है साधे ….”
Rohit ❤️❤️