प्यार….. करना, जताना और निभाना… तीनो अलग अलग बाते है.. प
प्यार….. करना, जताना और निभाना… तीनो अलग अलग बाते है.. प्यार तो सभी करते ही है किसी ना किसी से.. बस जता और निभा नहीं पाते.. जो जता देते है वो निभा नहीं पाते और जो निभाने का सोचते है वो जता नहीं पाते ।।। अक्सर कहानियो का अंत ऐसा ही होता है.. कहानी इसलिए कहा है क्यूंकि उन्होंने प्रेंम को जताया या निभाया नहीं । । प्यार तो बस हो जाता है.. भीड़ भरी सड़क पे उसका हाथ थाम लेना.. बारिश आ जाए तो उसको एहतियात करना की सुनो तुम बच के रहना बारिश से किसी टपरी पर ग़र मिल जाए कभी तो फूंक मार मार कर उसको चाय ठंडी कर पिलाना.. उसके late हो जाने पर घंटो हाथ में मोबाइल रखना चाहे फिर खुद ही क्यूँ late हो rhe हो किसी ज़रूरी से ।। पर निभाना नहीं.. निभाने वाला प्यार तो आजकल बहुत कम दिखता है.. अक्सर इसी वजह से कहानिया अधूरी सी रह जाती है.. और इन्ही सब की वजह से बड़े शायर ने कहा है की “खुशनसीब होते है वो लोग जिनका इश्क़ मुकम्मल होता है'” भाई हम तो कहते है की खुशनसीब होते है वो लोग जिन्हें इश्क़ होता है.. फिर चाहे इश्क़ ज़िन्दगी भर साथ रहे या ना रहे.. ज़िंदा रहने की वजह तो बन ही जाता है.. बस इश्क़ होना चाहिए.. फिर चाहे आप किसी के साथ भी रहे.. किसी के साथ ना होने की कसक होनी चाहिए.. जो वक़्त साथ गुज़ारा है अपने इश्क़ के.. उसी वक़्त के साथ ज़िन्दगी रहनी चाहिए ।। जब हीर रांझा.. रोमियो जूलियट.. सोहनी महिवाल प्यार करके ना मिल सके तो आप कहा से आए है.. बस आशिक़ो की परंपरा को बढ़ाते रहिए.. सबको उनका इश्क़ मिल जाए तो फिर इश्क़ को कोई पूछेगा भी नहीं.. इसलिए बस इश्क़ करिए.. चाहे ज़िन्दगी भर साथ रहे ना रहे बस करिए…
अनकही, अनसुनी इश्क़ की कहानियां लिए..