प्यार और पंछी
प्यारा प्यारा है यह पंछी, और पिंजड़ा धाम है
कैसे कह दूं मैं तुम से, परतंत्रता परिणाम है
जागे जागे रातभर जो, जुगनुओं की आस में
कह रहा चंदा अकेला, मिट गया मैं प्यास में
आई सांझ ढोने लगी, क्या जिंदगी पैगाम है
कैसे कह दूं मैं तुम से, परतंत्रता परिणाम है
भोर से अम्बर की बातें, खुद मेरी उड़ान है
है छटा मेरी क्षितिज पर, देख स्वेद हैरान है
सो रहा है सारा जग ही, स्वप्न तो अभिराम है
कैसे कह दूं मैं तुम से, परतंत्रता परिणाम है।।
प्यारा प्यारा है यह पंछी, और पिंजड़ा धाम है
कैसे कह दूं मैं तुम से, परतंत्रता परिणाम है।।
सूर्यकान्त