प्यार एक पक्की डोर
प्यार की डोर इतनी कच्ची नहीं होती,
अपनों से बेरुखी अच्छी नहीं होती,।
छोड़ देते हम तन्हा आपको गर,
हमारी मोहब्बत सच्ची नहीं होती,।
यूँ तो बोहत हैं हमारे भी चाहने वाले,
देख सकते थे कभी उन्हें हम भी नज़र भर,
गर तस्वीर आपकी आँखों में रक्खी नहीं होती।
गर मंज़ूर नहीं है आपको तो बिता सकते हैं आपकी यादों में ताउम्र,
आखिर मोहब्बत की कीमत इतनी सस्ती नहीं होती।
बसाया है आपको अपने दिल में हमने लहू की तरह,
अब सोचते हैं काश हम में कोई प्यार की बस्ती नहीं होती।
इस बार जो छोड़ गए तो शायद फिर न मिलेंगे हम,
मोहब्बत में मिटने वालों की यहां कोई हस्ती नहीं होती।
-karuna verma (khushi)