पैसा बोलता है
पैसा बोलता है
पैसा ईश्वर तो नहीं, नहीं ईश से न्यून।जग में पैसा बोलता, रिश्ते सनते खून।।
ईश्वर भी है वो बड़ा, जिस पर चढ़े करोड़।जग में पैसा बोलता, रिश्ते पीछे छोड़।।
पैसे से पद बिक रहे, पैसे से सम्मान।जग में पैसा बोलता, बिकते हैं ईमान।।
वैवाहिक रिश्तें बिकें, कहते नाम दहेज़।जग में पैसा बोलता, धन से सेज सहेज।।
बिन पैसे विद्वान कवि,फाँक रहें हैं धूल।जग में पैसा बोलता, पैसा मूल समूल।।
बड़े संत कहते जिन्हें,सच वे धनी कुबेर।जग में पैसा बोलता, भक्त टके में सेर।।
जीते धनी चुनाव में, निर्धन की हो हार।जग में पैसा बोलता,धन का है व्यवहार।।
सत्ता सेना भी बिके, पढ़ देखो इतिहास।जग में पैसा बोलता, जनता भोगे त्रास।।
मंदिर मस्जिद हो रहे, धन से ही मशहूर।जग में पैसा बोलता, मन भक्ति से दूर।।
पावन रिश्ते तुल रहे, धन की तुला हुजूर।जग में पैसा बोलता, तन का गया गरूर।।
अभिनेता अफसर रखें, धन को मान रखैल।जग में पैसा बोलता , नहीं हाथ का मैल।।
तुम अब , छोड़ सभी जंजाल।जग में पैसा बोलता,अपनी रकम सँभाल।।