पैर नहीं चलते थे भाई के, पर बल्ला बाकमाल चलता था । मैं हमेशा से जानता था कि ये
पैर नहीं चलते थे भाई के, पर बल्ला बाकमाल चलता था । मैं हमेशा से जानता था कि ये जल्दी आउट हो जाएगा । लेकिन जो 30-40 रन बनाएगा वो 200 की स्ट्राइक रेट से होंगे।
औऱ ख़ुदा ना खास्ता 10 ओवर खेल गया तो सामने वाली टीम की लंका लगनी तय है ।
वो शुरुआत हमेशा चौके से करता। सचिन जहाँ संभल कर खेल रहे होते । वहीं सहवाग ताबड़तोड़ चौके लगा कर आसमान में उड़ रहे उस दौर के दिग्गज गेंदबाजों को ज़मीन दिखा रहा होता । बैटिंग थी या आतिशबाज़ी थी !!
हम मन में प्रार्थना करते रहते थे, “सहवाग भाई रोक कर खेल, विकेट नहीं देना। ये खतरनाक बॉलर है , इस ओवर को झेल ले। अगले में धो लेना । pls आउट मत होना।”
लेकिन हमारी प्रार्थनाओं को नज़रंदाज़ करके कट पे कट लगाते हुए सहवाग उस खतरनाक बॉलर का भूत बना रहा होता था । तब सहवाग पर गुस्सा और प्यार एक साथ आता था ।
वो क्रिकेट का स्वर्णिम दौर था । भारतीय क्रिकेट में जो सबसे निडर और घातक बल्लेबाज हुआ है तो वो Virender Sehwag है । जब से वीरेंद्र सहवाग रिटायर हुए हैं तब से क्रिकेट से मेरी रुचि समाप्त हो गई,
जन्मदिन की शुभकामनाएं मुल्तान के सुल्तान । ❤️