पैरालंपिक एथलीटों का सर्वोच्च प्रदर्शन
पैरालंपिक एथलीटों का सर्वोच्च प्रदर्शन
पैरालंपिक की शुरुआत 1948 में सर लुडविग गुटमन के इंग्लैंड के मैडविले में रीड की हड्डी से संबंधित चोटों के साथ 16 विश्व युद्ध के दूसरे दिग्गजों को शामिल करते हुए एक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया था। 4 साल बाद इसमें हॉलैंड के प्रतिभागी शामिल हुए इस तरह इंटरनेशनल मूवमेंट जिसे अब पैरालंपिक आंदोलन के रूप में जाना जाता है। 1960 में रोम में पहली बार विकलांग खिलाड़ियों के लिए ओलंपिक शैली के खेल आयोजित किए गए। ओलंपिक खेलों के रूप में 4 साल में एक बार पैरा ओलंपिक खेलों की दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजनों में से एक में शामिल किया गया जिसमें सामाजिक समावेश ड्राइविंग के लिए एक ट्रैक रिकॉर्ड शामिल किए गए। सबसे रोचक तथ्य यह है किआज पैरालंपिक खेल टिकट बिक्री के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयोजन है केवल ओलंपिक खेल और फीफा विश्व कप ही उनसे आगे हैं। पैरालंपिक खेल दो प्रकार के होते हैं शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन सभी में पैरालंपिक खेलों का संचालन अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक ओलंपिक समिति (आईपीसी )द्वारा किया जाता है। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेढ़ सौ से अधिक देशों के एथलीटों द्वारा हिस्सा लिया जाता है।
भारतीय पैरालंपिक एथलीट को लेकर भारतीयों का उत्साह देखते ही बनता है।अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए भारतीय पैरालंपिक एथलीटों ने 29 पदको के साथ 18वां स्थान प्राप्त किया है जो भारतीयों के लिए अत्यंत ही गौरवान्वित का पल है। यदि पैरालंपिक के 1 महीने पहले समाप्त हुए ओलंपिक खेलों की तुलना की जाए तो जमीन आसमान का अंतर नजर आएगा पेरिस ओलंपिक खेलों में 117 एथलीट सिर्फ छह पदक ही जीत सके थे। सबसे रोचक तथ्य यह है कि भारत सरकार ने 117 एथलीटों पर 490 करोड रुपए खर्च किए थे। वहीं दूसरी तरफ पेरिस पैरालंपिक खेलों में भारत अभी तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 29 पदक जीते हैं जिसमें रिकॉर्ड 7 स्वर्ण के अलावा नौ रजत और 13 कास्य पदक शामिल है। इन खेलों में कुल 84 भारतीय खिलाड़ियों ने भागीदारी की थी और उनकी तैयारी पर भारत सरकार ने लगभग 74 करोड रुपए खर्च किए थे। वहीं टोक्यो पैरालंपिक खेलों के लिए 26 करोड रुपए खर्च किए थे। इतना तो जाहिर होता है कि देश में पैरालंपिक को लेकर नजरिया बढ़ा है लेकिन ओलंपिक खेलों के मुकाबले पैरालंपिक एथलीटों का खर्चा अभी भी कमतर ही है उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए भारतीय सरकार को उनको ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए ताकि एथलीटों के जमीनी स्तर पर सुधार किया जा सके। 2016 रियो ओलंपिक में भारत ने सिर्फ चार पदक जीते थे और 26 करोड रुपए खर्च किए थे पैरालंपिक एथलीटों पर। इसके बाद केंद्र सरकार, खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ(सीई) ने एथलीटों के वित्तीय मदद मुहिया कराना शुरू किया इसके तहत टोक्यो पैरालंपिक में शिरकत करने वाले 54 एथलीटन पर 26 करोड रुपए खर्च किए गए थे। इसमें भारतीय एथलीटों ने 19 पदक जीते जिसमें पांच स्वर्ण के साथ कुल 19 पदक के विजेता बने, भारत ने पहली बार एक संस्करण में 5 से ज्यादा पदक जीते थे।
पेरिस में पैरालंपिक खेलों में रजत पदक जीतने वाले शूटर मनीष नरवाल, अवनी लेखरा ने एयर राइफल्स स्टैंडिंग SH1 शूटिंग में विश्व रिकॉर्ड स्कोर के साथ अपने खिताब को डिफेंड किया। पुरुषों की क्लब थ्रो FS1 स्पर्धा में क्रमश स्वर्ण पदक व रजत पदक धर्मवीर और परनब सूरमा ने हासिल किया तथा हाई जंप T64 में प्रवीण कुमार ने छठवां पदक स्वर्ण पदक दिलाया। दूसरी तरफ सुमित ने टोक्यो 2020 में अपने ही पिछले रिकार्ड को एक बार नहीं बल्कि प्रतियोगिता के दौरान तीन बार तोड़ा हाई जंप हो या T35 हो यह तीरंदाजी सभी खेलों में सभी एथलीटों ने सर्वोच्च प्रदर्शन किया मात्र 17 साल की उम्र में शीतल ने राकेश के साथ मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य हासिल करके भारत की सबसे कम उम्र की पैरालंपिक पदक विजेता के रूप में इतिहास रच दिया। 400 मीटर T20 वर्ग में कांस्य के साथ पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली बौद्धिक रूप से कमजोर भारतीय एथलीट बनी। सबसे बाद में भारत को हरविंदर सिंह के रूप में पहला पैरालंपिक तीरंदाजी चैंपियन मिला।
अपना सर्वोच्च प्रदर्शन देने वाले सभी एथलीटों को सरकार से उम्मीद है कि सरकार बजट बढ़ाएगी मनीष नरवाल ने कहा कि इस शानदार प्रदर्शन के बाद उम्मीद है कि 2028 में पैरालंपिक खेलों से पहले सरकार हमारे लिए बजट में इजाफा करेगी दूसरी तरफ पैराशूटर मनीष ने कहा कि मेरा मानना है कि कारपोरेट जगत को भी आगे जाकर सहयोग करना चाहिए यदि ऐसा हुआ तो एथलीटों को ट्रेनिंग, उपकरण और विदेशी दौरे में आसानी हो जाएगी और और हम सभी एथलीट अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर भारत को फिर से सर्वोच्च स्थान दिलाने के लिए प्रयासरत हो सकेंगे।
हरमिंदर कौर
अमरोहा यूपी