*पैंतीस चार सौ रुपये वेतन पुरी करो मांग क्लर्को की*
पैंतीस चार सौ रुपये वेतन पुरी करो मांग क्लर्को की
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गूंगी बहरी सरकार वतन की सुन लो मांग क्लर्कों की,
पैंतीस चार सौ रुपये वेतन पुरी करो मांग क्लर्कों की।
रीड की हड्डी जैसा ओहदा हर विभाग हर संस्थान में,
कीमत कभी ना जानी कहीं सरकार ने इस जहान में,
जैसा काम वैसा ही वेतन फालतू ना मांग क्लर्कों की।
पैंतीस चार सौ रुपये वेतन पुरी करो मांग क्लर्कों की।
सम कैडर सारे स्केल बढ़ाए क्लर्क रखे वहीं के वहीं,
हर वेतन आयोग मे पीछे रखे बाबू रहे कहीं के नहीं।
ज्यादा नहीं बराबर वेतन पूरी कर दो मांग क्लर्को की।
पैंतीस चार सौ रुपये वेतन पुरी करो मांग क्लर्कों की।
दरी बिछा बैठे धरने पर घर बार सभी ने है छोड़ दिए,
जब तक पुरी मांग नही होती काम करने है छोड़ दिए,
पद प्रतिष्ठा समान वेतन पुरी कर दो मांग क्लर्कों की।
पैंतीस चार सौ रुपये वेतन पुरी करो मांग क्लर्कों की।
मनसीरत नौ से पांच बजे तक सारे काम रहे निपटाते,
कैसा भी हो काम सरकारी ड्यूटी कर्मठता से निभाते,
मेहनत के बराबत वेतन पुरी कर दो मांग क्लर्को की।
पैंतीस चार सौ रुपये वेतन पूरी करो मांग क्लर्को की।
गूंगी बहरी सरकार वतन की सुन् लो मांग क्लर्कों की।
पैंतीस चार सौ रुपये वेतन पुरी करो मांग क्लर्कों की।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)