पेड़
पेड़
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हमारी तरह
हँसते/रोते हैं पेड़
दर्द में चिल्लाते भी हैं
जब कोई मारता/पीटता
काटता हैं उन्हें,
पर कोई नहीं सुनता
उनकी चिल्लाहट,
किसी को नहीं दिखता
उनका दर्द,
दिखता है केवल
अपना स्वार्थ,
यही महीन सी रेखा है
जो सदा
देने वाले पेड़ को
सदा लेने वाले मानव से
अलग करती है,
कभी सोचा
जो पेड़ न होते
तो क्या हम होते?
पर्यावरण कैसा होता ?
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#डॉभारतीवर्माबौड़ाई