काश तु मेरे साथ खड़ा होता
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
मुक्तक - यूं ही कोई किसी को बुलाता है क्या।
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
कितना हराएगी ये जिंदगी मुझे।
कुदरत है बड़ी कारसाज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जीवन में कभी किसी को दोष मत दो क्योंकि हमारे जीवन में सभी की
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सबने पूछा, खुश रहने के लिए क्या है आपकी राय?
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
Jese Doosro ko khushi dene se khushiya milti hai